अधिकारियों व कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्तव्य।

Right to information act

सेल के संगठन, कार्य तथा कर्तव्यों का विवरण

1.0 परिभाषाएं : 

  • आरडीसीआईएस: लोहे एवं इस्पात के लिए अनुसंधान एवं विकास केन्द्र
  • सेल: स्टील अथाॅरिटी आॅफ इण्डिया लिमिटेड
  • आई/सी: इन्चार्ज
  • एचआरडी: मानव संसाधन विकास
  • ओडी: संगठनात्मक विकास

2.0 दस्तावेज का विवरण

2.1 कम्पनी के आर्टिकल्स आॅफ एसोसिएशन के अन्तर्गत निदेशक मण्डल ने कम्पनी के प्रबन्धन के लिए कुछ अधिकार कम्पनी के अध्यक्ष को सौंपे हैं। अध्यक्ष ने अपने कुछ अधिकार आरडीसीआईएस, सेल के प्रबन्धन के लिए निदेशक (तकनीकी) व कार्यकारी निदेशक इंचार्ज, आरडीसीआईएस, रांची को प्रत्यायोजित किए हैं। कार्य की मांग को देखते हुए इमें समय-समय पर परिवर्तन किया गया है। कार्यकारी निदेशक, इंचार्ज, आरडीसीआईएस ने अपने कुछ अधिकार केन्द्र के सुचारू प्रबन्धन के उद्देश्य से आरडीसीआईएस के कार्यपालकों को सौंप दिए हैं। गोपनीय होने के कारण निदेशक (तकनीकी)/कार्यकारी निदेशक इंचार्ज, आरडीसीआईएस के वित्तीय अधिकारों की जानकारी नहीं दी जा रही है। विभिन्न कार्यपालकों को सहज रूप से प्रशासनिक कार्य चलाने के लिए प्रत्यायोजित अधिकारों की जानकारी केन्द्र के सम्बद्ध दस्तावेजों में उपलब्ध है।

2.2 आरडीसीआईएस के टेक्नोलाॅजी संबंधी कार्य 6 क्षेत्रों: ”कोयला”, ”लोहा”, ”इस्पात”, ”उत्पाद”, ”रोलिंग टेक्नोलाॅजी” और “आॅटोमेशन एवं इंजीनियरी” में विभाजित हैं।

तकनीकी क्षेत्रों में निम्न गतिविधियां की जाती हैं:

  • इस्पात कारखानों में तकनीकी परियोजनाएं: तैयार करना, समीक्षा करना तथा माॅनिटर करना, खरीद कार्य, परीक्षण व जांच, आंकड़े अन्वेषण तथा कार्य पूर्ण होने की रिपोर्ट।
  • आरडीसीआईएस में मूल अनुसंधान: तैयार करना, समीक्षा, परीक्षण, आंकड़े अन्वेषण तथा कार्य पूरी होने की रिपोर्ट।
  • उपस्करों का पर्याप्त रखरखाव: अंश शोधन, निरोधक रखरखाव।
  • उपभोक्ताओं की शिकायतों परकार्य तथा जब भी आवश्यक हो, उन्हें सेवाएं उपलब्ध कराना/आरडीसीआईएस के सभी इस्पात कारखानों में केन्द्र है तथा इसकी प्राथमिक गतिवधियों के लिए टेक्नोलाॅजी समर्थन उपलब्ध कराते हैं। यह निम्न प्राथमिक गतिविधियों में भाग लेता है।
  • परियोजना से संबंधित सभी गतिविधियों में केन्द्र की ओर से कारखाने के साथ सम्पर्क।
  • जब भी आवश्यक हो उपभोक्ताओं को सेवाएं। आरडीसीआईएस में अन्य सह विभाग हैं: ”कार्मिक एवं प्रशासन (पी एण्ड ए)“, ”वित्त एवं लेखा (एफ एण्ड ए)“, ”सामग्री प्रबन्धन (एमएम)“ और ”संचार“।

2.3 कार्मिक एवं प्रशासन निम्न प्राथमिक कार्य करता है:

  • प्रभावी जनशक्ति आयोजन व नियंत्रण सुनिश्चित करना।
  • सार्थक कार्य वातावरण तैयार करना।
  • प्रभावी एचआरडी/ओडी पहल का कार्यान्वयन।
  • कल्याण तथा खेल-कूद गतिविधियों को बढ़ावा।
  • कार्यालय भवन तथा नगरी में प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना।
  • नगरी/सम्पदा संबंधी गतिविधियों पर नजर रखना।
  • रांची स्थित सेल की सभी यूनिटों को कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • राजभाषा प्रचार-प्रसार।
  • अनुशासन संबंधी मामलों पर नजर व समीक्षा।

2.4 सामग्री प्रबन्धन निम्न प्राथमिक कार्य करता है:

  • आरडीसीआईएस द्वारा, पूर्व निर्धारित समय सीमा में भारत तथा विदेश से विभिन्न योजनाओं के लिए परियोजना जानकारी प्राप्त करना।
  • कार्यालय उपकरण तथा उपभोग वाले सामान की खरीद।
  • विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा मांगे गए उपकरण व उपभोग सामग्री की खरीद।
  • आरडीसीआईएस द्वारा मांगी गई विभिन्न सेवाओं के लिए ठेकों को अन्तिम रूप देना।
  • यह सुनिश्चित करना कि कम्पनी में समय-समय पर लागू प्रक्रियाओं के अनुसार खरीद कार्य किए जाते हैं।
  • माल का प्रयोग से पूर्व निरीक्षण, उठाने-रखने, भण्डारण और उसे खराब होने से बचाए रखना।
  • विभिन्न रिकार्डों का रखरखाव।
  • आवश्यकता अनुरूप प्रबन्धन को सूचनाएं उपलब्ध कराना।
  • सामग्री प्रबन्धन विभाग में कर्मचारियांे की प्रशिक्षण आवश्यकताआंे का पता लगाना।
  • सामग्री प्रबन्धन विभाग के कर्मचारियों को दिए गए प्रशिक्षण की उपयोगिता का मूल्यांकन।
  • प्रयोग से पूर्व माल उठाने-रखने, उसके भण्डारण व उसे बचा कर रखना।

2.5 वित्त तथा लेखा विभाग निम्न कार्य करता है:-

सामान्य 

  • यूनिट की वित्तीय आवश्यकताओं की निरन्तर समीक्षा।

बजट

  • समूहों/विभागों से विचार-विमर्श के उपरान्त पूंजी तथा राजस्व बजट को अन्तिम रूप देना।
  • परियोजनाओं/व्यय/आय मदों की समय-समय पर बजट-समीक्षा। जहां भी भिन्नता पाई जाए वह सबके सामने लाना तथा उसे ठीक करने के उपायों के बारे में सुझाव देनां

लागत पर नियंत्रण

  • समूहों/विभागों से विचार-विमर्श के उपरान्त यूनिट में लागत में कमी करने की योजनाओं तथा लक्ष्यों का निर्धारण व पूरी यूनिट में योजनाएं लागू करना व सुनिश्चित करना।
  • सम्बद्ध समूहों/विभागों से बातचीत कर विभिन्न लागत मदों (परियोजनाएं, जनशक्ति, सामग्री, परामर्शदात्री सेवाएं) की निरंतर समीक्षा और समय रहते भूल सुधार के लिए कार्रवाई।

निधियों की आवश्यकता

  • निगमित कार्यालय से निधि की मांग तथा आवश्यकता व उपयोगिता के आधार पर पूंजी और राजस्व के लिए निधियों के आबंटन को स्वीकृति।
  • आबंटित निधियों का प्रभावी उपयोग तथा पैसे के उपयोग के लिए पूरे संगठन में उपयुक्त अनुशासन सुनिश्चिित करना।

वित्तीय लेखे, कराधान और लेखा परीक्षा

  • रांची स्थित यूनिटों तथा आरडीसीआईएस के खाते समय पर बन्द करना। संवैधानिक लेखा परीक्षा, वाणिज्यिक लेखा परीक्षा संबंधी सभी मामले तथा कानून की व्यवस्थाओं के अनुसार निदेशक मण्डल और शेयरधारकों की स्वीकृति के लिए सेल के खातों में समावेश हेतु समय पर इन्हें निगमित कार्यालय भेजना।
  • एक ऐसी प्रणाली का विकास करना और उसकी देखरेख करना जिसे यूनिट के कार्य में सुधार के तरीकों की सिफारिश की जा सके तथा सभी संसाधनों का पूर्ण उपयोग सम्भव हो।
  • निगमित कार्यालय के कराधान विभाग को रांची स्थित यूनिटों की लेखा परीक्षित कर रिपोर्ट भेजना जिससे कम्पनी के ‘कर रिटर्न’ समय पर दाखिल किए जा सकें। इनमें आयकर, सेवा कर, उत्पादन शुल्क, सीमा शुल्क, बिक्री कर, शुल्क राॅयल्टी आदि शामिल हैं।
  • यूनिट के सभी संवैधानिक दायित्वों का पालन करना।

अन्य

  • कर्मियों को वित्त विभाग के कार्यों का प्रशिक्षण दिलाना तथा वित्त विभाग के अधिकारियों को आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण/गोष्ठियों/कार्यशालाओं में भेजना।
  • टेक्नोलाॅजी विपणन/परियोजना एवं समन्वयन/खरीद जैसे सम्बद्ध विभागों को वित्तीय लेन-देन से सम्बन्धित नीतियों के बारे में निर्णय लेने में सहायता देना।
  • नीति और प्रत्यायोजित अधिकार के अनुसार बट्टे खाते में डालने और परिसम्पत्तियों की बिक्री के सम्बन्ध में सहायता।
  • आरडीसीआईएस व्यय तथा आरडीसीआईएस सेवाओं की बिक्री की मदों में वित्त विभाग की स्वीकृति प्रदान करना।